धरोहर संरक्षण प्राधिकरण बोर्ड के उपाध्यक्ष सांवरमल महरिया के अचानक बीजेपी में शामिल होने से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को लगा झटका,
सूत्रों की माने तो सांवरमल महरिया डोटासरा के खास और राजदार थे। इस खबर से पिछले दो दिन से सियासी गलियों में हलचल मची हुई है। कांग्रेस में हर कोई रह गए दंग, कांग्रेसियो को सांवरमल महरिया के बीजेपी में जाने की बात हजम नहीं हो रही है।
सांवरमल महरिया के बीजेपी में जाने के बाद डोटासरा गुट को सताने लगा डर। कांग्रेसियों में तनाव साफ तौर पर झलक रहा है, कहीं महरिया ने विपक्षी पार्टी के नेताओं के सामने डोटासरा से जुड़े भेद उजागर कर दिए तो या यूं कहे कि विपक्ष सांवरमल के द्वारा इन बातों का चुनावी लाभ ले सकते हैं। जिससे 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
बता दें कि अपने नजदीकी सांवरमल महरिया को डोटासरा ने PCC वॉर रूम वाले 7 नंबर बंगले के केयर टेकर की जिम्मेदारी भी दे रखी थी। यहां होने वाली बैठकों और अन्य आयोजनों की जिम्मेदारी भी महरिया के जिम्मे ही थी। सियासी गर्माहट इतनी बढ़ गई कि अब कांग्रेसियों में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि आखिर PCC चीफ के सबसे भरोसेमंद व्यक्ति को ही बीजेपी का दामन क्यों थामना पड़ा।
जानकारी के मुताबिक बता दें कि कयास लगाए जा रहे है कि डोटासरा जब शिक्षा राज्य मंत्री थे तब ट्रांसफर – पोस्टिंग से लेकर कई अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में सांवरमल महरिया की अहम भूमिका रही है। वहीं पेपर लीक मामलों के बाद जैसे ही डोटासरा ईडी की रडार पर आए यानी कि संकट के बादल छाने लगे, कही ये बदल महरिया के ऊपर भी न मंडराने लगे, उस डर के बाद से ही सांवरमल महरिया ने आहिस्ते – आहिस्ते उनसे किनारा करना शुरू कर दिया था।
सियासी गलियारों में कहा ये भी जा रहा है कि जांच के छींटे उन तक नहीं आए, इसके लिए भी महरिया ने बीजेपी में शामिल होना ही उचित समझा। वहीं कई कार्यकर्ताओं का कहना ये भी है कि सांवरमल ने शेखावाटी की किसी भी सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। लेकिन डोटासरा ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था, जिससे नाराज होकर उन्होंने बीजेपी का हाथ पकड़ लिया।